ब्रम्हसूत्र अध्याय २ पाद-२ सूत्र~३~२ अंक~२०२ वोजलऔरदुग्धअर्थातपयोधिकेनियंताहैंउन्हींकेदण्डसेकाँपताजलजीवनकाप्रवाहकरता_है। प्रिय, श्री वेदव्यासजी द्वारा विरचित ब्रम्हसूत्र की बाल प्रबोधिनी टीका के अंतरगत इसके द्वितीय #अविरोध नामक अध्याय के द्वितीय पाद के तृतीय सूत्र के द्वितीय अंक को अर्पित कर रही हूँ- पयोऽम्बुवच्चेत्तत्रापि॥२॥२॥३॥ यदि मैं कहूँ कि दूध और जल की भाँति जड़ प्रकृति रचना हेतु प्रवृत्त होती है…
शीतलाष्टक
शीतलाष्टकं श्लोक~१०~१७ बाल प्रबोधिनी अंक~३७ कोरोनापरविशेष_प्रस्तुति- येजानतेहुवेभीचलदियेकिमंजिलइतनीदूरहैजिसेतयकरनानामुमकिनसाहै। प्रिय सखा और सखियों ! वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, समीचीन संदर्भ में श्रीशीतलाष्टकं के दशम श्लोक के सत्रहवें अंक को मैं मेरे प्यारे श्री कृष्ण की प्रेयसी राधिका-देवी के चरणों में अर्पित कर रही हूँ– अष्टकंशीतलादेव्यायो_नर: #प्रपठेत्सदा। विस्फोटकभयंघोरंगृहेतस्यन_जायते।। इस चिलचिलाती झुलसाती धूप में ! 44°~46° डिग्री तापमान में पिघलते…
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस पर विशेष प्रस्तुति अंक ~१ देवभाषासंस्कृतऔरदेवनागरीहिन्दीकीऐक्यताकोस्वीकारकियाहोता। प्रिय सखा और सखियों,भारत वर्ष की मातृभाषा हिन्दी-दिवस के सन्दर्भ में ये निबन्ध श्रृंखला प्रस्तुत करती हूँ- आप स्वयं ही देख सकते हैं कि संस्कृत मे प्रत्येक शब्द की उत्पत्ति एक विज्ञान है, जिसे शब्द व्युत्पत्ति कहते हैं। जैसे- #पत्नातत्रायतेसापत्नी” वैदिक व्याकरण मे शब्द उत्पत्ति का आधार…
भक्तिसूत्र-२ बालप्रबोधिनी कृति सुतपा देवी,अंक- ७७से-
भक्तिसूत्र प्रेमदर्शन देवर्षि नारदविरचित सूत्र~६८~१अंक-७८ नानाह्यदयतोमेराकिसीसूखीकाष्ठकीपादुकाकीतरहकठोरहैंप्रिय!! प्रिय सखा तथा मेरी प्यारी सखियों!!देव-ऋषि नारद कृत”भक्ति-सूत्र” की श्रृञ्खला के अंतरगत इसके ६८ वें सूत्र का प्रथम अंक मैं आपके ह्यदय में विद्यमान मेरे प्यारे प्रियतमजी श्री कृष्णजी के चरणों में अर्पित कर रही हूँ—- गुणरहितंकामनारहितंप्रतिक्षणवर्मधानविछिन्नंसूक्षम्ततरमनुभवरूपम्।।६८।। यह प्रेम गुणरहित है,कामना रहित है,प्रतिक्षण बढता रहता है,विच्छेद रहित है!!सूक्ष्मसे भी…
ऋग्वेदोक्त देवीसूक्त बाल प्रबोधिनी टीका कृति सुतपा देवी”
ऋग्वेदोक्त देवी सूक्तम्~मंत्र-१ विधि- अंक~१ ॥ गुप्त नवरात्रि के पावन पर्व पर विशेष प्रस्तुति ॥ अकस्मातहोतीहैवाक्सिद्धिऔरयेकिसीशाश्वतसवितोपासिकासरस्वतीकोहीहोतीहै ! प्रिय ! अब इस अद्भुत श्रृंखला में मैं “ऋग्वेदोक्त देवी सूक्तम्”की व्याख्या में प्रस्तुत कर रही हूँ,शक्ति-पात की भूमिकार्थ प्राप्त वैदिकीय अंश पर आधारित प्रथम ऋचा का प्रथम अंक!! युग आवर्तन-प्रत्यावर्तन काल में ! युग-युगान्तरोद्भूत वैदिकीय साहित्यान्तर्गत ऋग्वेद…
गुरूवाणी संकलन सुतपा देवी अंक१७८ से
भाग-२ गुरू वाणी संकलन२६~१०~१८सुतपा देवी अंक~७८ जै श्री कृष्णा ! क्या एक दिन व्हाट्स्एप पर भी चर्चा करनी चाहिये ? (उस पर ममाजी आनद नही आता , पता नही चलता बात अच्छी लगी या नही ,अरूण ) आज आप सब किस विषय पर चर्चा करना चाहेंगे ? (ममाजी किसी को कैसे पता चले कोई चक्र जगृत…
रजस्वला स्तोत्र बाल-प्रबोधिनी कृति सुतपा-देवी —
रजस्वला स्तोत्र~ध्यानमंत्र~१ अंक~१ कृति सुतपा देवी आद्रानक्षत्रकेतीनदिनतकपृथ्वीवर्षाऋतुमेंऋतुमतीकहीजाती_है ! मेरे प्रिय सखा तथा प्यारी सखियों!!मैं आपके समक्ष #रूद्रयामलतंत्रान्तर्गत श्री रजस्वला स्तोत्र की बाल प्रबोधिनी व्याख्या प्रस्तुत करने का एक प्रयास कर रही हूँ ! इसके अंतर्गत प्रस्तुत करती हूँ-स्तोत्र के विनियोग को ! और इस स्तोत्र को आदि कुलाचार्य सदाशिव के श्री-चरणों में समर्पित करती हूँ-…
नृसिंहावतार एक अंतर्घटना कृति सुतपा देवी
नृसिंहावतार एक तथ्यात्मक घटना, अंक~१ ऋषिपुत्र कोई सामान्यव्यक्ति नहीं हुवा_करते!! ।।#होलिकातथानृसिंहजयंतिपर_श्रृड़्खला।। प्रिय सखियों”भगवान श्री नृसिंह जयंति के परिप्रेक्ष्यमें मेरे अंतःमें संकलित एक पूर्वेच्छा को इस निबंध श्रृँञ्खला के द्वारा अक्षरोंमें उकेरने का कार्य कर रही हूँ,कभी-कभी मेरे कुछेक भाई हमारी अवतारमय संस्कृति पर प्रश्न वाचक चिन्ह लगाते आये हैं,आज उन्ही चिन्होंमे से एक चिन्ह को…
भक्तिसूत्र बालप्रबोधिनी कृति सुतपा देवी,अंक-१से ७७
भक्तिसूत्र प्रेम-दर्शन देवर्षि नारद विरचित सूत्र-१ येस्त्री-पुरुषकाजोचोलाहैयेतोएकछलावाहै। मेरी प्यारी सखियों!!वैदिक साहित्य की मर्मस्पर्षी श्रँञ्खला के अन्तर गत मैं आप सबकी सेवामें देवर्षि नारद कृत भक्ति-सूत्र की स्वलिखित बाल-प्रबोधिनी प्रस्तुत कर रही हूँ!!आप सबके ह्यदय में स्थित मेरे प्रियतमजी श्री कृष्ण जी के चरणों में इसका प्रथम सूत्र-पुष्प चढा रही हूं– अथातोभक्तिजिज्ञासा।।१।। सखियों!!कभी कभी आपमें बहुत…
शिवताण्डवस्तोत्रम् दशानन-कृत बाल प्रबोधिनी कृति सुतपा देवी-
दशानन कृत शिवताण्डवस्तोत्रम्~१~१ अंक~१ हमआपसभीमेंएकदशकन्धरविद्यमानहैअधमातिऽधमऔरपरम_पावन। मेरे प्रियसखा तथा प्यारी सखियों ! अनेकानेक लोगों के आग्रह तथा अंतःप्रेरणा के वशीभूत होकर मैं अपने गुरुदेव भगवान अवधूतरामजी के श्रीचरणों में अर्पित करती हुयी शिवताण्डव स्तोत्र की भाव-प्रबोधिनी का प्रथम पुष्प निवेदत करती हूँ- जटाटवीगलज्जल_प्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्यलम्बितांभुजंगतुंगमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं, चकारचंडतांडवंतनोतु_नः #शिवः #शिवम ॥ शैव्यमत की पराकाष्ठा को प्राप्त हुवे शिखर…